स्वतंत्रता की लड़ाई में पहली महिला अमर शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी स्वतंत्रता की लड़ाई में कई बार ऐसे
जबलपुर कमिश्नरी के अंतर्गत थी आपकी रियासत
स्वतंत्रता की लड़ाई में पहली महिला अमर शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी
स्वतंत्रता की लड़ाई में कई बार ऐसे वीर्य हैं जिनकी वीरता की गाथाएं ज्यादा प्रचलित नहीं है लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनके बलिदान को बुलाया नहीं जा सकता ऐसे ही स्वतंत्रता की लड़ाई में पहली महिला अमर शहीद वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी जी हैं इतिहास में मिले प्रमाणों के अनुसार रानी अवंती बाई देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पहली महिला सेनानी थी जो किसी राजघराने से थी और देश के लिए लड़ते हुए शहीद हुई होने वाली प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी में पहली वीरांगना थी स्वतंत्रता दिवस व 16 अगस्त रानी जी के जन्म दिवस पर वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी जी की वीर गाथाएं l
जबलपुर कमिश्नरी के अंतर्गत थी आपकी रियासत
रानी अवंती बाई मंडल रामगढ़ की रानी थी जो जबलपुर कमिश्नरी के अंतर्गत ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत रखा था रामगढ़ रियासत के संस्थापक गोंड साम्राज्य के वीर सेनापति मोहन सिंह लोधी थे रियासत में 681 गांव और सीमाएं अमरकंटक, सुहागपुर ,कबीर चौतरा, घुघरी ,बिछिया ,रामगढ़ तक थी , 1817 से 1851 तक रामगढ़ राम रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे उनके निधन के बाद विक्रमादित्य सिंह ने राजगद्दी संभाली उनका विवाह बाल्यावस्था में ही मनकेहरी के जमींदार राव जुझार सिंह की कन्या अवंतीबाई से हुआ विक्रमादित्य बचपन से ही वीररागी प्रवृत्ति के थे, अंत मे राज्य संचालन का दायित्व उनकी पत्नी रानी अवंती बाई पर आ गया उनके दो पुत्र अमान सिंह और शेर सिंह हुए अंग्रेजों ने तब तक भारत के अनेकों भागों में अपनी पर जमा लिए थे ,
बाल्यावस्था से वीर और साहसी
रानी का जन्म 16 अगस्त 1831 को मनकेहरी जिला सिवनी के जमींदार राव जुझार सिंह के यहाँ हुआ अपने बचपन से ही अवंतीबाई तलवारबाजी और घुड़सवारी में निपुण थी वीरांगना बाल्यावस्था से ही बड़ी वीर और साहसी थी उनके बड़े होने के साथ-साथ वीरता के किस्से भी फैलने लगे
हड़प राज्य नीति में गई रियासत
रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य को विकसित और अमन सिंह और शेर सिंह को ना बदल नाबालिक कर रामगढ़ राज्य को हड़पने की दृष्टि से अंग्रेज शासको ने कोर्ट आफ वायरस की कार्रवाई की 1855 में राजा विक्रमादित्य की मृत्यु के बाद नाबालिक पुत्रों की संरक्षिका के रूप में राज्यशक्ति पूरी तरह से रानी के हाथों में आ गई रानी ने राज्य के कृषकों को अंग्रेजों के निर्देशों को न मानने का आदेश दिया इस सुधार कार्य से रानी की लोकप्रियता और बड़ी अंग्रेजों को यह बात अच्छी नहीं लगी उन्होंने रामगढ़ राज्य को कोर्ट आफ वाइर्स के अंतर्गत कर दिया रानी ने रामगढ़ राज्य की रक्षा के लिए अंग्रेजी शासन के खिलाफ बगावत करना जरूरी हो गया रानी का स्थानीय जमीदारों और मालगुजारों के साथ मिलकर अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष लंबे समय तक चलता रहा
छह युद्ध लड़े रानी ने
इतिहास विद डॉक्टर आनंद सिंह राणा ने लिखा है की रानी ने रानी ने छह Along लड़े जिसमें भुआ का युद्ध, बिछिया का युद्ध, रामगढ़ का युद्ध, घुघरी का युद्ध, खीरी का युद्ध में चार युद्ध जीते खीरी की युद्ध के बाद मंडल और रामगढ़ से अंग्रेज पलायन कर गए वहां से अंग्रेज वहिटन जबलपुर कमिश्नरी आया फिर वापस सेवा के साथ 1858 में रामगढ़ का गिराव किया पांचवी युद्ध रामगढ़ के किले के युद्ध में रानी ने घेराबंदी तोड़ दी उसके बाद देवहरगढ़ में मोर्चा संभाला कई बार झड़क हुई अंत में 20 मार्च 1858 को रानी पराजित हुई और अपनी ही कटार से आत्म बलिदान दे दिया रानी अवंती बाई की समाधि डिंडोरी जिले शाहपुर के पास बातपुर गांव में स्थित है रामगढ़ का किला अब पूरी तरह से धराशाही हो चुका है प्रशासन द्वारा कुछ भूभाग की बाउंड्री वॉल बनाकर संरक्षित करने का प्रयास किया गया
इस तरह पहली महिला शहादत
रानी अवंती बाई लोधी की शहीद हुई 20 मार्च 1858
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई शहीद हुई 18 जून 1858
बेगम हजरत महल की शहादत 9 अप्रैल 1879
1857 की क्रांति से मिली स्वतंत्रता लड़ने की शक्ति
18 सितंबर 1857 को राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह को विद्रोही के आरोप में पड़कर टॉप के में से उड़ा दिया गया इस घटना से नाराज नेटिव इंफिनिटी के सैनिकों ने सूबेदार बलदेव तिवारी के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया विजय रायगढ़ के राजा सरजू प्रसाद शाहपुर के मालगुजार ठाकुर जगत सिंह शाहपुरा के ठाकुर बहादुर सिंह लोधी हीरापुर के मेहरबान सिंह लोधी भी रानी अवंती बाई से आ मिले और स्वतंत्रता संग्राम का युध्य घोष कर दिया l